नईदुनिया प्रतिनिधि, झाबुआ: दीपावली के अगले दिन झाबुआ में हर साल की तरह इस बार भी प्राचीन गाय-गोहरी पर्व बड़े उत्साह और आस्था के साथ मनाया गया। मंगलवार की शाम को गोवर्धननाथ जी की हवेली से शुरू हुई यह परिक्रमा स्थानीय संस्कृति और परंपरा का अनूठा संगम बनी।
हजारों की संख्या में ग्रामीण और शहरी भक्त शामिल हुए। आयोजन के दौरान हवेली से आजाद चौक, सुभाष मार्ग और नेहरू मार्ग होते हुए परिक्रमा की गई। परिक्रमा के समय मन्नतधारी उल्टे लेट गए और उनके ऊपर से गायों को निकालकर रस्म पूरी की गई।
पशुपालकों ने अपनी गायों को सजाकर और नहलाकर आयोजन स्थल पर लाया। मन्नतधारियों ने श्रद्धा के साथ अपनी कामना पूरी करने हेतु इस परंपरा को निभाया। आयोजन स्थल पर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम रहे और घरों व दुकानों की छतों से भीड़ ने नजारा देखा।
पर्व का महत्व
यह पर्व मूल रूप से गोवर्धन पूजा से जुड़ा है। मान्यता है कि बीमारियों, संकट या अमंगल से बचने की मन्नत लेकर लोग इस पर्व में भाग लेते हैं। जब मन्नत पूरी होती है, तो श्रद्धालु गाय-गोहरी रस्म निभाते हैं। परिक्रमा कुल पांच बार होती है और हर बार मन्नतधारी गाय को अपने ऊपर से निकलवाते हैं।
संवेदनशील इतिहास
2001 से यह पर्व पुलिस रिकॉर्ड में संवेदनशील की श्रेणी में दर्ज है। इससे पहले यहां आतिशबाजी और हुल्लड़बाजी के चलते कई विवाद हुए, यहां तक कि सांप्रदायिक तनाव भी पैदा हुआ था। तब से प्रशासन कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में ही इस आयोजन को संपन्न कराता है।