
नईदुनिया प्रतिनिधि, खंडवा | व्यवस्था की लापरवाही एक परिवार पर पहाड़ बनकर टूटी। ग्राम रोशनी निवासी 25 वर्षीय मजदूर सुरेंद्र ओझा ने समय पर उपचार न मिलने से दर्द में तड़पते हुए रास्ते में ही दम तोड़ दिया। उसकी तबीयत सुबह करीब आठ बजे अचानक बिगड़ गई। सुरेंद्र ने स्वजन से कहा कि“मुझे तकलीफ हो रही है, अस्पताल ले चलो।”
घर वालों ने तुरंत एंबुलेंस को कॉल किया, लेकिन सहायता नहीं मिली। एंबुलेंस के इंतजार में कीमती समय फिसलता रहा। देर न करते हुए स्वजन ने सुरेंद्र को बैलगाड़ी पर लेटाया और अस्पताल की ओर पैदल खींचकर ले जाने लगे। उनका घर रोशनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सिर्फ आधा किमी दूर है, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। रास्ते में ही सुरेंद्र की सांसें थम गईं।
अस्पताल पहुंचने पर प्रभारी डॉ. संतोष मोरे ने जांच कर सुरेंद्र को मृत घोषित कर दिया। डॉक्टर ने बताया कि प्राथमिक लक्षणों से मामला साइलेंट हार्ट अटैक प्रतीत होता है, हालांकि स्पष्ट कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट से सामने आएगा।
मजदूरी कर चलाता था परिवार
सुरेंद्र मजदूरी करके अपना परिवार चलाता था। उसकी आठ महीने की एक छोटी बच्ची है, जिसके सिर से पिता का साया अचानक उठ गया। पत्नी और स्वजन का रो-रोकर बुरा हाल है। गांव में भी गहरा शोक है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि एंबुलेंस समय पर पहुंच जाती तो शायद सुरेंद्र की जान बच सकती थी। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार शव का पोस्टमार्टम खालवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कराया गया, जिसके बाद उसे स्वजन को सौंप दिया गया।
अधिकारियों ने क्या कहा
डॉ. ओपी जुगतावत, सीएमएचओ, खंडवा ने कहा कि “मामले की जानकारी आपसे मिली है। एंबुलेंस का प्वाइंट रोशनी में ही है। कितने बजे कॉल किया था, यह देखवाना होगा। हो सकता है एंबुलेंस किसी और मरीज को लेकर गई हो। लापरवाही किस स्तर पर हुई है, मैं दिखवा लेता हूं।” ऋषव गुप्ता, कलेक्टर, खंडवा ने कहा कि “मैं इंदौर एक महत्वपूर्ण बैठक में हूं। क्या मामला है, जानकारी लेता हूं।”