डिजिटल डेस्क, इंदौर। थायरॉइड एक ऐसा ग्लैंड है, जो गले के सामने स्थित होता है। यह ऐसे हार्मोन बनाता है जो शरीर की कई कार्यशैली में अहम भूमिका निभाता है। अगर थायरॉइड सही तरीके से काम करना बंद कर दे तो ये सभी कार्यशैलियां अस्त व्यस्त होती हैं, जिससे कई समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
अगर जरूरत से अधिक थायरॉइड हार्मोन बनने लगे, तो इस स्थिति को हाइपरथायराइडिज्म कहते हैं। वहीं, अगर इसकी मात्रा कम हो जाए तो इसे हाइपोथायराइडिज्म कहते हैं। आमतौर पर लोगों में हाइपोथायरायडिज्म की ही समस्या अधिक देखने को मिलती है।
इसकी वजह से थकान, वजन बढ़ना, पफी चेहरा, धीमी हार्टबीट, कब्ज जैसे लक्षण सामान्य रूप से दिखाई देते हैं। ऐसी स्थिति में एक ऐसे हरी पत्ती है, जिसके सेवन से थायरॉयड के मामले में सुधार देखा गया है और उस हरी पत्ती का नाम है ताजी हरी धनिया।
हरी धनिया भारतीय कुकिंग की जान है। लोग हर करी और ग्रेवी डिश में ताजी हरी धनिया से गार्निशिंग करना नहीं भूलते हैं। इसकी खास महक और स्वाद खाने में फ्लेवर तो लाता ही है, खासतौर से ये खाने की एसिडिटी को कम कर के इसे पचाने में मदद भी करता है।
हरी धनिया एक ऐसा नेचुरल प्रोडक्ट है, जो खाने में डालने से खाना स्वादिष्ट होने के साथ पौष्टिक भी हो जाता है। थायरॉइड के मामले में भी हरी धनिया को बहुत कारगर माना गया है। इसमें मौजूद विटामिन और एंटी ऑक्सीडेंट के गुण इसे थायरॉइड के कारण होने वाली समस्याओं से छुटकारा दिलाते हैं।
हरी धनिया का सेवन करने के लिए इसका डिटॉक्स ड्रिंक तैयार करें। पानी में धनिया काटकर उबालें और इसे छान लें। फिर इसमें शहद और नींबू का रस डालकर हरी धनिया से बने डिटॉक्स ड्रिंक का आनंद लें। आइए जानते हैं कि कैसे हरी धनिया की पत्तियां हैं थायरॉइड में कारगर
थायरॉइड का सीधा असर कोलेस्ट्रॉल लेवल पर पड़ता है। हाइपोथायरॉइड के मामले में कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाता है। जब थायरॉइड हार्मोन की मात्रा कम होती है, तो शरीर LDL कोलेस्ट्रॉल (बैड कोलेस्ट्रॉल) को ब्रेक कर के शरीर से निकाल नहीं पाता है। इस तरह शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाता है।
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हरी धनिया का सेवन करने से ब्लड प्रेशर कम होता है। बैड कोलेस्ट्रॉल कम होता है और गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है। हरी धनिया में फाइटोस्टेरॉल पाए जाते हैं, जो आंतों में कोलेस्ट्रॉल के एब्जॉर्पशन को रोकते हैं। इससे LDL की मात्रा कम होती है और हार्ट संबंधी समस्याओं का खतरा टलता है।
हरी धनिया में टोकोफेरोल, कैफीक एसिड, ग्लाइसिटिन आदि जैसे महत्वपूर्ण एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो थायरॉइड ग्लैंड को ऑक्सीडेटिव डैमेज से बचाते हैं और थायरॉइड की कार्यशैली में सुधार लाते हैं।
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हाइपो थायरॉइडिस्म के मामले में मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे तेजी से वेट गेन होता है। मगर, हरी धनिया के पानी में भरपूर फाइबर और न्यूनतम कैलोरी पाई जाती है, जिससे वेट लॉस में मदद मिलती है और थायरॉइड की कार्यशैली में सुधार होता है।