डिजिटल डेस्क, इंदौर। बात जब पौष्टिक आहार की होती है, तो सबसे पहले उसमें दूध को शामिल किया जाता है। दूध पीना एक प्रथा की तरह है, जिसके बिना दिन अधूरा और सेहत अस्वस्थ मानी जाती है। खास तौर पर बच्चे और बूढ़ों को दिन में दो बार दूध पीना एक नियम है, जिसका पालन चाहे अनचाहे इन्हें करना ही पड़ता है।
कारण मात्र कैल्शियम को शरीर में पहुंचाना है, हड्डियां और दांत मजबूत बने रहें। मगर, क्या आप जानते हैं कि दूध की जगह कैल्शियम के और भी ढेरों विकल्प हैं, जिनको अपने खाने-पीने में शामिल करके आप कैल्शियम की रोजाना की डोज बड़े आराम से पूरी कर सकते हैं।
कैल्शियम का एक जबरदस्त स्रोत है रागी। अपने अद्भुत गुणों के कारण रागी आजकल की लगभग सभी हेल्दी डाइट और मील प्लान का हिस्सा बन चुका है। रागी एक बेहद पौष्टिक अनाज में से एक है, जिसे फिंगर मिलेट भी कहते हैं। ये हड्डियां बनाने के साथ इन्हें मजबूत करता है।
प्रोटीन, आयरन और ढेर सारे डाइटरी मिनरल से भरपूर रागी में ऐसे एमिनो एसिड पाए जाते हैं, जो हमारी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हैं। रागी को शरीर आसानी से पचा लेता है और शरीर को अधिकतम पोषण देता है।
ये फाइबर से भरपूर होने के कारण वेट लॉस में भी सहायक होता है। ये ब्लड शुगर लेवल संतुलित बनाए रखने में मदद करता है, जिससे डायबिटिक की डाइट के लिए ये एक बेहतरीन विकल्प है।
रागी से हलवा, डोसा, ड्रिंक, अप्पे, पैनकेक, कुकीज़, लड्डु, चीला, इडली जैसी कई वैरायटी की डिशेज बनाई जा सकती हैं। तो आइए जानते हैं इससे होने वाले दूसरे फायदों के बारे में…
100 ml रागी में लगभग 3.9 mg आयरन पाया जाता है। इससे थकान दूर होती है, शरीर में एनर्जी बनी रहती है और खून की कमी से निपटा जा सकता है। रागी में 7.3 ग्राम प्रोटीन हर सर्विंग में पाया जाता है। इससे शरीर के टिश्यू रिपेयर और हीलिंग की क्षमता बढ़ती है।
रागी ग्लूटन फ्री होता है, जिसके कारण ग्लूटन सेंसिटिविटी से जूझ रहे लोगों के लिए ये बेहद फायदेमंद विकल्प है। साथ ही लैक्टोज इंटॉलरेंट, मिल्क एलर्जी या वीगन लोगों के लिए भी रागी एक बेस्ट विकल्प माना जाता है।
ऐसे तो दूध भी बेहद पौष्टिक आहार है जो कैल्शियम, फॉस्फोरस, विटामिन डी से भरपूर होता है और शरीर के सभी जरूरी हिस्सों को जैसे हड्डियों, मांसपेशियों, स्किन, हार्ट, ब्रेन, इम्यूनिटी को फायदा पहुंचाता है।
मगर, कुछ लोगों को दूध से एलर्जी हो सकती है जिससे दूध पीने के बाद इन्हें मुंहासे, उल्टी, गैस, ब्लोटिंग या कब्ज की समस्या शुरू हो जाती है। ऐसे ही लोग लैक्टोज इंटॉलरेंट होते हैं।
ऐसे लोगों को दूध का सेवन करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए इन्हें रागी पर स्विच कर देना चाहिए और अपनी प्रतिदिन की डाइट में दूध की जगह रागी को देनी चाहिए।
रागी के चिल्ले, लड्डू, रोटी, पराठा या कचौड़ी सहित जिस भी तरह से आपका मन करे, अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
शरीर को प्रतिदिन 1000 से 1200 mg कैल्शियम की जरूरत होती है। रागी की 100ml की एक सर्विंग में संभावित रूप से 344 mg कैल्शियम पाया जाता है। वहीं, 100 ml दूध में 120 mg तक कैल्शियम पाया जाता है जो कि तुलनात्मक रूप से काफी कम है।
रागी में ट्रिप्टोफैन नाम का एक एमिनो एसिड पाया जाता है, जो ब्रेन के फंक्शन में भी सहायक होता है। ग्लूटन फ्री होने के साथ ये पोटैशियम से भरपूर होता है, जिससे ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है।
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इस तरह कुल मिला कर देखा जाए तो रागी और दूध दोनों ही पौष्टिक आहार हैं। मगर, यदि आपको दूध पीने में किसी प्रकार की समस्या हो रही हो, तो निसंकोच इसे छोड़ कर रागी का सेवन किया जा सकता है।
दरअसल, रागी में अधिक कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है। लिहाजा, जरूरत से ज्यादा रागी खाना नुकसान भी पहुंचा सकता है। खासतौर पर किडनी स्टोन जैसी समस्या से पीड़ित लोगों को रागी के ज्यादा सेवन से बचना चाहिए।