डिजिटल डेस्क, इंदौर। सिंघाड़ा एक काले रंग का फ्रूट है, जिसके अंदर एक सफेद बीज मौजूद होता है। इसी सफेद बीज को खाया जाता है और बाहर के काले हिस्से को छिलके की तरह उतार कर फेंक देते हैं। इसमें ढेर सारा पानी भरा होता है, जिससे शरीर का हाइड्रेशन बरकरार रहता है।
देखने में ये फल भैंस की सींग की तरह दिखता है जिसके कारण इसे बफैलो नट भी कहते हैं। तिकोने आकार में दिखने वाला ये फल खाने में बेहद क्रंची और टेस्टी होता है। इसका स्वाद हल्का मीठापन लिए होता है, जिसके कारण ये सभी को पसंद आता है।
इसे कच्चा या फिर उबाल कर भी खाया जा सकता है। कुछ लोग सिंघाड़े की सब्जी भी बनाते हैं। सिंघाड़े के कई फायदे हैं। ये डायबिटीज के मरीज के लिए एक एंटी डायबिटिक दवा की तरह है। सिंघाड़े में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो फ्री रेडिकल डैमेज से बचाव करते हैं।
सिंघाड़े के सेवन से इम्यूनिटी भी बढ़ती है। ये फैट फ्री और कोलेस्ट्रॉल फ्री होता है जिससे वेट मैनेजमेंट में भी ये सहायक माना जाता है। इतने सारे फायदों के बावजूद कुछ लोगों को सिंघाड़े के सेवन से बचना चाहिए। दरअसल, सिंघाड़े के कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। जानते हैं कि किन लोगों को कतई सिंघाड़े नहीं खाने चाहिए…
सिंघाड़े अक्सर तालाब या पोखरे के पानी में उगाए जाते हैं। अच्छे से धुल कर खाने के बावजूद कुछ बैक्टीरिया और पैरासाइट इसमें चिपके हुए रह सकते हैं। फिर ऐसे संक्रमित सिंघाड़े को खाने से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
ऐसी स्थिति में फूड पॉयजनिंग या फूडबॉर्न इलनेस होने की आशंका बढ़ जाती है। खासतौर पर प्रेग्नेंट महिलाओं को इससे बचना चाहिए क्योंकि फिर ये बच्चे के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है।
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कुछ लोगों को सिंघाड़े का सेवन करने से एलर्जी के लक्षण दिखाई दे सकते हैं जैसे खुजली, लाल चकत्ते, सूजन या सांस लेने में तकलीफ। खाने के कुछ देर बाद तक अगर ऐसे कोई लक्षण महसूस हों, तो एक्सपर्ट की सलाह लें और सिंघाड़े का सेवन कतई न करें।
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सिंघाड़े में बहुत अधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जिससे डायरिया, गैस, ब्लोटिंग जैसा महसूस हो सकता है। इससे उल्टी, मितली या पेट दर्द भी हो सकता है। इसलिए सिंघाड़े की ओवरइटिंग से बचना चाहिए।