
डिजिटल डेस्क। हाल के दिनों में देशभर में दो बड़ी आतंकी साजिशें बेनकाब हुईं, एक फरीदाबाद में और दूसरी हैदराबाद में। दोनों मामलों में चौंकाने वाली बात यह रही कि साजिशों के पीछे किसी आम अपराधी नहीं, बल्कि पेशे से डॉक्टर लोग थे। इन गिरफ्तारियों ने न केवल सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है बल्कि यह भी सवाल खड़ा किया है कि पढ़े-लिखे और जिम्मेदार पेशे से जुड़े लोग इस तरह की हिंसक विचारधारा की ओर कैसे मुड़ रहे हैं।
रविवार की रात जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक विशेष टीम ने फरीदाबाद में छापा मारकर 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया। यह एक सफेद, गंधहीन रासायनिक पदार्थ है, जिसका उपयोग खेती में खाद के रूप में होता है, लेकिन गलत हाथों में यह अत्यधिक विस्फोटक बन जाता है।
पुलिस को यह जानकारी डॉ. राठेर नाम के व्यक्ति से मिली थी, जो पहले अनंतनाग के सरकारी मेडिकल कॉलेज में कार्यरत था और जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन में पोस्टर लगाने के आरोप में पहले से गिरफ्तार था। जांच में पता चला कि राठेर ने यह रासायनिक सामग्री डॉ. शकील को दी थी, जो फरीदाबाद के अल-फलाह अस्पताल में काम करता है।
शकील के पास से 20 टाइमर, गोला-बारूद और दो असॉल्ट राइफलें बरामद हुईं। पुलिस अब एक तीसरे डॉक्टर - एक अज्ञात महिला की भूमिका की भी जांच कर रही है, जिसकी कार से दो बंदूकें और कारतूस मिले। एजेंसियां अब इस बात का पता लगाने में जुटी हैं कि इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक दिल्ली तक कैसे पहुंचा और इसका अंतिम लक्ष्य क्या था।
दूसरा मामला सामने आया गुजरात और हैदराबाद से, जहां एटीएस ने डॉ. अहमद मोहियुद्दीन सैयद को गिरफ्तार किया। सैयद दावा करता था कि उसने चीन से मेडिकल डिग्री हासिल की है, लेकिन असल में वह इस्लामिक स्टेट-खोरासान प्रांत (ISIS-K) से जुड़ा हुआ था।
सैयद के पास से तीन पिस्तौलें, 30 गोलियां और चार लीटर अरंडी का तेल मिला। जांच में खुलासा हुआ कि वह इसी तेल से राइसिन नामक घातक जहर तैयार कर रहा था, जिसे बहुत कम मात्रा में भी इस्तेमाल कर बड़ी संख्या में लोगों को मारा जा सकता है।
गुजरात एटीएस के अनुसार, सैयद दिल्ली, लखनऊ और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों में हमले की योजना बना रहा था। उसके दो साथी - आजाद सुलेमान शेख और मोहम्मद सुहैल सलीम - इन शहरों में टारगेट लोकेशन की तलाश कर रहे थे। तीनों ने पूछताछ में पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए हथियार लाने की बात भी कबूल की है।
एजेंसियों को जांच में यह भी पता चला है कि सैयद का संपर्क अफगानिस्तान में स्थित ISIS-K हैंडलर अबू खादीजा से था। दोनों के बीच बातचीत टेलीग्राम जैसे एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म के जरिए होती थी।
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