तेंदुओं का आतंकः सुरक्षा के लिए कीलों वाले पट्टे पहनने को मजबूर इन जिलों के लोग
महाराष्ट्र के गन्ना उत्पादन वाले तीन प्रमुख जिलों में इन दिनों तेंदुओं का खौफ चरम पर है। गन्ने के घने खेतों को अपना स्थायी ठिकाना बना चुके तेंदुए लगातार इंसानों पर हमला कर रहे हैं। तेंदुओं के आतंक से डरे हुए ग्रामीण दिन में भी गले में नुकीली कीलों वाले सुरक्षात्मक पट्टे पहनकर घर से निकल रहे हैं।
Publish Date: Wed, 26 Nov 2025 04:37:16 PM (IST)
Updated Date: Wed, 26 Nov 2025 04:38:13 PM (IST)
तेंदुओं से सुरक्षा के लिए कीलों वाले पट्टे पहनने को मजबूर हैं महाराष्ट्र के इन जिलों के लोग।HighLights
- महाराष्ट्र के गन्ना उत्पादन वाले तीन जिलों में तेंदुओं का खौफ चरम पर
- ग्रामीण दिन में भी गले में नुकीली कीलों वाले पट्टे पहन कर घर से निकल रहे
- पिछले पांच वर्षों में इन जिलों में तेंदुओं के 350 से ज्यादा हमले दर्ज
डिजिटल डेस्कः महाराष्ट्र के गन्ना उत्पादन वाले तीन प्रमुख जिलों में इन दिनों तेंदुओं का खौफ चरम पर है। गन्ने के घने खेतों को अपना स्थायी ठिकाना बना चुके तेंदुए लगातार इंसानों पर हमला कर रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि ग्रामीण दिन में भी गले में नुकीली कीलों वाले सुरक्षात्मक पट्टे पहनकर घर से निकल रहे हैं।
गन्ने के खेत बने तेंदुओं का सुरक्षित घर
पुणे, नासिक और अहिल्यानगर में हजारों हेक्टेयर में फैली गन्ने की खेती ने तेंदुओं को अनुकूल माहौल दे दिया है। नहरें, छोटी नदियां और घनी फसल उनके लिए ऐसे सुरक्षित ठिकाने बन गई हैं, जिनसे वे अब जंगलों की ओर लौटना भी नहीं चाहते। वन विभाग का कहना है कि कई तेंदुए यहां तीन पीढ़ियों से रह रहे हैं।
350 से ज्यादा हमले, 170 से अधिक मौतें
पिछले पांच वर्षों में इन जिलों में तेंदुओं के 350 से ज्यादा हमले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 170 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। केवल पुणे में ही 70 से अधिक घटनाएं सामने आई हैं। हाल के तीन महीनों में 14 ग्रामीणों की मौत के बाद स्थानीय लोगों में दहशत बेहद बढ़ गई है।
सरकार अलर्ट मोड पर, 11 करोड़ रुपये मंजूर
लगातार बढ़ते हमलों के बाद राज्य सरकार ने स्थिति को गंभीर मानते हुए लगभग 11 करोड़ रुपये खर्च करने का निर्णय लिया है। सरकार ने केंद्र से तेंदुओं के बंध्याकरण की विशेष अनुमति भी प्राप्त की है ताकि आबादी को नियंत्रित किया जा सके।
पिंजरे, एआई कैमरे और सायरन-बड़ी तैयारी
प्रभावित इलाकों में 200 पिंजरे लगाए जा चुके हैं। एक हजार नए पिंजरों की खरीद प्रक्रिया जारी है। एआई-सक्षम सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जो तेंदुआ दिखते ही तेज सायरन बजा देते हैं। खतरनाक तेंदुओं को पकड़कर पुणे के माणिकडोह रेस्क्यू सेंटर में भेजा जा रहा है। कुछ मामलों में सीधे शूट-ऑन-साइट (गोली मारने) की अनुमति भी दी गई है।
गले में कीलों वाले पट्टे, हाथ में त्रिशूलनुमा डंडे
ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने नुकीली कीलों वाले गले के पट्टे, झटका देने वाली टॉर्च और त्रिशूल जैसे डंडे वितरित किए हैं, ताकि अचानक हमले की स्थिति में लोग खुद की रक्षा कर सकें। तेंदुआ अक्सर गर्दन पर हमला करता है, इसलिए कीलों वाले पट्टे लोगों की पहली सुरक्षा परत बन गए हैं।
ग्रामीणों में दहशत, लेकिन उम्मीद भी
लगातार हमलों ने गांवों का जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। लोग खेतों में जाने से डर रहे हैं, वहीं प्रशासन की नई पहल से उन्हें कुछ हद तक राहत मिलने की उम्मीद भी है।