डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाल के दिनों में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से टेलीफोन पर बात करने की कोशिशें नाकाम रही हैं। जर्मनी के अखबार फ्रैंकफुर्टर अलगेमाइने के अनुसार, ट्रंप ने पिछले कुछ हफ्तों में चार बार संवाद स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय पक्ष की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।
सूत्रों के मुताबिक, ट्रंप के कार्यालय से प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को संदेश तो मिला, लेकिन उसे आगे बढ़ाने में उत्साह नहीं दिखाया गया। असली वजह आपसी भरोसे की कमी मानी जा रही है। भारत के नीति निर्धारकों को आशंका है कि अगर वार्ता होती भी है तो अमेरिकी पक्ष उसे अपने हिसाब से पेश कर सकता है।
दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के समय राष्ट्रपति ट्रंप ने कई बार दावा किया था कि उन्होंने मोदी से बात करके भारत और पाकिस्तान को संघर्ष विराम के लिए तैयार किया। जबकि भारत ने इस दावे को सिरे से नकारा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में स्पष्ट कहा था कि उस समय प्रधानमंत्री मोदी की ट्रंप से कोई सीधी बातचीत नहीं हुई थी। हां, नौ मई 2025 को अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वांस ने मोदी से बात की थी, लेकिन उसमें न तो युद्धविराम का मुद्दा उठा और न ही व्यापार का।
इसके बावजूद ट्रंप लगभग 40 बार सार्वजनिक मंचों पर यह दोहराते रहे कि उन्होंने भारत को व्यापार रोकने की धमकी देकर पाकिस्तान से युद्धविराम करवाया। हाल ही में 26 अगस्त 2025 को भी उन्होंने यही दावा किया। इस तरह के बयानों ने भारत-अमेरिका रिश्तों में तनाव पैदा किया है।
स्थिति को और जटिल तब बना दिया जब ट्रंप प्रशासन ने भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया, कारण बताते हुए कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है। जबकि चीन, जो रूस से सबसे ज्यादा तेल आयात कर रहा है, ट्रंप के साथ लगातार संवाद बनाए हुए है।
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