फेज: 3
चुनाव तारीख: 23 अप्रैल 2019
जांजगीर-चाम्पा जिले के 6 विधानसभा क्षेत्र और बलौदाबाजार-भाठापारा के दो विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर जांजगीर-चाम्पा लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया है। महानदी के इस पार जिले के छह विधानसभा क्षेत्र पामगढ़, जांजगीर, अकलतरा, सक्ती, जैजैपुर और चंद्रपुर तथा नदी उस पार कसडोल और बिलाईगढ़ विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर यह लोकसभा क्षेत्र बना है। यहां स्व. मिनीमाता भी सांसद रह चुकी है। ज्यादातर अवसरों पर इस लोकसभा में क्षेत्र के बाहर के नेताओं का वजूद रहा है। कांग्रेस के प्रभात मिश्रा, बीजेपी के मनहरण लाल पाण्डेय, दिलीप सिंह जूदेव, कांग्रेस के भवानी लाल वर्मा यहां से सांसद रहे। यह अनुसूचित जाति वर्ग के लिए प्रदेश की एक मात्र आरक्षित सीट है। इसके चलते इस वर्ग के प्रदेश भर के बड़े नेताओं की नजर इस सीट पर रहती है। यह हरिजन बाहुल्य क्षेत्र है और इसके दायरे में कुल आठ विधानसभा क्षेत्र हैं। विकास का हाल और स्थानीय मुद्दे जिले में विकास के कई कार्य हुए हैं। इनमें खोखसा व बिर्रा पुटक में रेलवे ओवरब्रिज निर्माणाधीन है। जांजगीर-चाम्पा से बाइपास एनएच सड़क निर्माण, मुख्य डाकघर को प्रधान डाकघर का दर्जा मिला है। इसी तरह पासपोर्ट कार्यालय की शुरुआत यहां हुई है, फिर भी यहां के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की समस्या व जांजगीर, सक्ती में कई एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव न होना बड़ी समस्या है। इस लोकसभा क्षेत्र में बेरोजगारी के कारण पलायन अधिक होता है। उद्योगों में स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिलने से वे विभिन्न राज्यों में पलायन करते हैं। इसके अलावा बलौदा क्षेत्र के 27 गांवों में सिंचाई की समस्या है, जिसके कारण यहां के ग्रामीण पलायन करते हैं। जांजगीर की खास बातें जांजगीर-चंपा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र छत्तीसगढ़ 11 संसदीय क्षेत्रों में से एक है। 1952 में देश के लिए हुए पहले लोकसभा चुनावों में यह संसदीय क्षेत्र अस्तित्व में नहीं था। 1957 के लोकसभा चुनावों के दौरान इस निर्वाचन क्षेत्र का गठन किया गया। इस क्षेत्र को छत्तीसगढ़ का दिल भी कहा जाता है। इस क्षेत्र को कलचुरी राजवंश के महाराजा जांजवाल्य देव का शहर कहा जाता है। इसीलिए इस क्षेत्र का नाम जांजगीर पड़ा। यहां का विष्णु मंदिर वैष्णव समुदाय का एक प्राचीन कलात्मक नमूना है। यहां के देवरघटा में मगरमच्छ की सुरक्षा के लिए संरक्षण केंद्र भी स्थापित किया गया है।