
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अवतार भगवान दत्तात्रेय की जयंती गुरुवार को हर्षोल्लास से मनाई जा रही है। इस अवसर पर विभिन्न अनुष्ठान-पूजन हो रहे हैं। कृष्णपुरा छत्री पर भगवान दत्तात्रेय का प्राचीन मंदिर है। जहां 750 वर्षों से ‘दिगंबरा-दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा’ महामंत्र गुंजायमान है। मंदिर से जुड़े लोग बताते हैं कि यहां साधु वेश में छत्रपति शिवाजी महाराज आए थे, जबकि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव महाराज ने भी आसन लगाया था।
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव महाराज 508 साल पहले इंदौर, बेटमा और ओंकारेश्वर आए थे। उनके वर्ष 1517 में आने का उल्लेख पुरातन ग्रंथ गुरु खालसा में मिलता है। इस दौरान उन्होंने कान्ह नदी के किनारे आसन लगाया था। इस स्थान पर सिख समाज ने गुरुद्वारा इमली साहिब बनाया है। उसी दौरान दत्त मंदिर में भी उन्होंने साधु-संन्यासियों से धर्म चर्चा की थी।
मंदिर में भगवान दत्तात्रेय की तीन मुख वाली पाषाण की मूर्ति विराजित है। इस मंदिर का उल्लेख मराठाशाही बखर पुस्तक में मिलता है। बताया जाता है कि वर्ष 1666 में मुगल शासक औरंगजेब को आगरा से चकमा देकर पुत्र के साथ दक्षिण जा रहे छत्रपति शिवाजी महाराज कुछ दिन साधु वेश में यहां रहे थे।
उनके गुरु समर्थ रामदास स्वामी ने यहां साधना कर पास ही खेड़ापति हनुमान की स्थापना की थी। 15 वीं पीढ़ी के पुजारी नरहरि शुक्ला बताते हैं कि मूर्ति के सामने प्राचीन शिवलिंग स्थापित है। यह मंदिर शहर के अस्तित्व में आने के पहले से स्थापित है।
मंदिर में देश के विभिन्न हिस्सों से भक्त दर्शन-पूजन के लिए आएंगे। गुरुवार शाम 4 से 6 बजे तक दत्त जन्म कीर्तन नागपुर के भास्करबुआ इंदुरकर समूह द्वारा किया जाएगा। रात 9 से 10 बजे तक मुंबई के चिंतन कुट्टी द्वारा सितार वादन होगा। रात 11 बजे बाद नाना महाराज भजन मंडली (तराणेकर संस्थान) द्वारा भजन की प्रस्तुति होगी।
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दत्त माऊली सद्गुरु अण्णा महाराज संस्थान पलसीकर कॉलोनी में दोपहर 12 बजे आरती एवं पादुका पूजन हुआ। दोपहर 1 बजे से गुरु दीक्षा एवं प्रसादी हुई। शाम 6 बजे अण्णा महाराज के प्रवचन एवं महाआरती का आयोजन होगा।
सुखलिया मराठी मंडल द्वारा इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। अध्यक्ष अनिल नागपुरकर ने बताया कि सुबह दत्त गुरु चरित्र व करुणा त्रिपदी का पाठ होगा। इस अवसर पर श्रेयस भजन मंडल की भजनों की प्रस्तुति होगी। दत्त जन्म आरती के बाद प्रसाद वितरण किया जाएगा।
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पुराणों के अनुसार महर्षि अत्रि और माता अनुसूया के यहां भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ। भगवान दत्तात्रेय ने मार्गशीर्ष पूर्णिमा को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में संयुक्त अवतार लिया था। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक में भगवान दत्तात्रेय को गुरु रूप में पूजन करने वाला बड़ा वर्ग है।