फेज: 6
चुनाव तारीख: 12 मई 2019
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट 1977 अस्तित्व में आई। इससे पहले यह कैथल लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा रहा। कुरुक्षेत्र जिला अम्बाला मंडल का एक भाग है। जिले का निर्माण 1973 में उस समय के करनाल जिले से अलग करके किया गया। बाद में जिले के कुछ भागों को कैथल और यमुनानगर जिलों के निर्माण के समय स्थानांतरित कर दिया गया। कुरुक्षेत्र जिले में तीन उपमंडलों का समावेश है: थानेसर, लाडवा व पिहोवा। थानेसर उपमंडल में दो तहसीलें- थानेसर और शाहबाद और दो उप-तहसील- लाडवा और बाबैन हैं। पिहोवा उप-खंड में पिहोवा तहसील और इस्माईलाबाद उप-तहसील शामिल हैं। इस जिले के महत्वपूर्ण नगर कुरुक्षेत्र, थानेसर और पिहोवा हैं। पंजाब सीमा पर स्थित होने के कारण यहां बड़ी संख्या में सिख आबादी भी है। कौन-कब सांसद रहा? 1977-80 जनता पार्टी से रघुबीर सिंह विर्क, 1980-84 जनता पार्टी से मनोहर लाल सैनी, 1984-89 कांग्रेस से सरदार हरपाल सिंह, 1989-91 जनता दल से गुरुदयाल सिंह सैनी, 1991-96 कांग्रेस से तारा सिंह, 1996-98 हरियाणा विकास पार्टी से ओपी जिंदल, 1998-99 इनेलो से कैलाशो सैनी, 1999-04 इनेलो से कैलोशो सैनी, 2004-2009 कांग्रेस से नवीन जिंदल, 2009-2014 कांग्रेस से नवीन जिंदल, 2014 से - भाजपा से राजकुमार सैनी, 2019 से नायब सिंह सैनी विधानसभा क्षेत्र और वर्चस्व इस लोकसभा क्षेत्र के तहत नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें रादौर, थानेसर, लाडवा, शाहाबाद, पिहोवा, कैथल, कलायत, पूंडरी और गुहला शामिल हैं। डेमोग्राफी और विकास जिले का कुल क्षेत्रफल 1682.53 वर्ग किमी है। जिले की कुल जनसंख्या 964231 2011 की जनगणना है। कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में 11 लाख 68 हजार 405 मतदाता हैं। शिक्षा के क्षेत्र में पांच साल में कुरुक्षेत्र में खूब तरक्की की है। 100 करोड़ रुपये का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस मिला और एनआइडी की स्थापना हुई। लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा कैथल के कलायत और गुहला चीका में दो राजकीय कॉलेज मिले। पांच साल में सड़कों का खूब विकास हुआ। पेयजल और सीवरेज में अभी और काम करने की जरूरत है। स्थानीय मुद्दे यमुनानगर से कुरुक्षेत्र तक नई रेलवे लाइन की मांग कुरुक्षेत्र लोकसभा की काफी पुरानी मांग है। इस मांग को लेकर हर बार अक्सर चुनावों में दावे हुए हैं, लेकिन अभी तक यह मांग पूरी नहीं हो पाई है। यमुनानगर से कुरुक्षेत्र और कैथल तक राष्ट्रीय राजमार्ग को चार मार्गी करने का मुद्दा। इस सड़क पर वाहनों को भारी दबाव रहता है, जिस कारण हादसे होना आम है। इस पर कई जगह काम चल रहा है। अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। पर्यटन के क्षेत्र में कुरुक्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रयास करना भी लोकसभा का चुनावी मुद्दा रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से कुरुक्षेत्र को श्रीकृष्णा सर्किट में शामिल कर हर साल 100 करोड़ रुपये दिए जाने का प्रावधान कर दिया गया है। इसको लेकर कई बड़ी परियोजनाओं पर काम चल रहा है। कुरुक्षेत्र को हवाई मार्ग से जोड़ना भी एक बड़ा मुद्दा रहा है। इसके लिए केंद्रीय टीम की ओर से पिछले दिनों लाडवा के पास गांव बीड़ सौंटी व गांव उमरी की जमीन का मुआयना किया गया है। कुरुक्षेत्र की खास बातें कुरुक्षेत्र, हरियाणा का एक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। यह राज्य का एक प्रमुख जिला और उसका मुख्यालय है। यह हरियाणा के उत्तर में स्थित है और अम्बाला, यमुना नगर, करनाल और कैथल से घिरा हुआ है। यह दिल्ली और अमृतसर को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलमार्ग पर स्थित है। इसका शहरी इलाका एक अन्य एतिहासिक स्थल थानेसर से मिला हुआ है। यह एक महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थस्थल है। यह क्षेत्र बासमती चावल के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है। दिल्ली से इसकी दूरी 171.2 किमी है।