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चुनाव तारीख: 12 मई 2019
पटना से 295 किलोमीटर दूर गंडक नदी के किनारे बसे वाल्मीकिनगर का पौराणिक महत्व है। कहा जाता है कि यहां बने आश्रम में महर्षि वाल्मीकि रहते थे। वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र पश्चिम चंपारण जिले में है। वर्ष 2002 के परिसीमन के बाद 2008 में पहली बार यह क्षेत्र अस्तित्व में आया। इससे पहले यह बगहा के नाम से जाना जाता था। वर्ष 2009 में पहली बार चुनाव होने पर जेडीयू के वैद्यनाथ प्रसाद महतो यहां से जीते। वर्ष 2014 में बीजेपी के सतीशचंद्र दुबे यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे। इसके बाद 2020 में हुए उपचुनाव में सुनील कुमार कुशवाह विजयी हुए थे। विधानसभा क्षेत्र और डेमोग्राफी वाल्मीकिनगर के तहत छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं। ये हैं-वाल्मीकिनगर, रामनगर, नरकटियागंज, बगहा, लौरिया और सिकटा। सिकटा, लौरिया और नरकटियागंज पश्चिमी चंपारण में, जबकि बगहा, वाल्मीकिनगर व रामनगर बगहा में। वाल्मीकिनगर नेपाल की सीमा के पास बेतिया से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक छोटा कस्बा है। नेपाल की सीमा से सटे होने के कारण यह इलाका सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील श्रेणी का माना जाता है। कई इलाके नक्सलग्रस्त भी हैं। बड़ी घटनाएं और विकास वर्ष 2018 में बगहा-दो प्रखंड की चंपापुर गनौली पंचायत के पूर्व मुखिया और वर्तमान मुखिया प्रतिनिधि मनोज सिंह की नक्सलियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।वाल्मीकिनगर संसदीय क्षेत्र में बीते वर्षों में कई परियोजनाओं पर काम हुआ। हाल ही में दो रेल ओवरब्रिज के साथ वाल्मीकिनगर से पटना राष्ट्रीय जलमार्ग-37 का शिलान्यास केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया। संसदीय क्षेत्र की कई सड़कें पक्की हुईं। एनएच-727 के दोहरीकरण का काम चल रहा है। व्यावसायिक दृष्टिकोण से वाल्मीकिनगर में कस्टम कार्यालय खोलने की कवायद चल रही। वाल्मीकिनगर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की दिशा में प्रयास जारी है। स्थानीय मुद्दे बिहार और उत्तर प्रदेश को जोड़नेवाले एनएच की बदहाली, पुलिस जिले का दर्जा मिलने के बाद से बगहा को राजस्व जिले का दर्जा दिलाने की मांग, गंडक पार के चार प्रखंडों को अनुमंडल मुख्यालय से जोड़ने के लिए पुल की मांग, डिग्री कॉलेज की स्थापना के साथ उच्च शिक्षा की व्यवस्था आदि स्थानीय मुद्दे लोगों के बीच चर्चा में रहे हैं। वाल्मीकि नगर का खास बातें वाल्मीकि नगर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बिहार के संसदीय क्षेत्रों में से एक है। 2002 में गठित परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद 2008 में यह निर्वाचन क्षेत्र अस्तित्व में आया। वाल्मीकि नगर को भैंसा लोटन के नाम से भी जाना जाता है। यह क्षेत्र गंडक नदी के किनारे बसा है। इस नदी पर बना बांध बिहार की जीवनरेखा कहा जाता है। यह क्षेत्र वाल्मीकि आश्रम के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां पर रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि ने अपना काफी समय बिताया। भगवान शिव का मंदिर यहां प्रमुख धार्मिक स्थल है। बाघ संरक्षण के लिए बना यहां का राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के आकर्षण केंद्र है। यह क्षेत्र प्रदेश की राजधानी पटना से 292 किलोमीटर दूर है, जबकि दिल्ली से 967 किलोमीटर दूर है।