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चुनाव तारीख: 12 मई 2019
महाराजगंज लोकसभा सीट को बिहार का दूसरा चित्तौड़गढ़ कहा जाता है। यह क्षेत्र कृषि पर निर्भर है। इस संसदीय क्षेत्र में सिवान की दो और सारण की चार विधान सभाएं शामिल हैं। 1957 में यह लोकसभा क्षेत्र बना। उस वक्त कांग्रेस के महेंद्र नाथ सिंह सांसद हुए थे। यहां की सबसे ज्यादा आबादी राजपूतों की है। दूसरे स्थान पर भूमिहार हैं। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर यहां से 1989 में रिकार्ड मतों से चुनाव जीते थे। उनके इस्तीफा देने के बाद रामबहादुर सिंह सांसद चुने गए। यहां से लगातार तीन बार और कुल चार बार प्रभुनाथ सिंह सांसद रहे हैं। एक बार स्व. उमाशंकर सिंहभी सांसद बने। भाजपा के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल 2014 और 2019 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं। महाराजगंज में छह विधान सभा क्षेत्र हैं-गोरियाकोठी, महाराजगंज, बनियापुर, मांझी, एकमा, और तरैया। बड़ी घटनाएं, विकास और मुद्दे मनियापुर विधान सभा क्षेत्र के मशरक प्रखंड में नवसृजित प्राथमिक विद्यालय गंडामन में विषाक्त मिड-डे-मील खाने से 23 बच्चों की मौत हो गई थी। इस मामले में विद्यालय की प्रधानाध्यापिका मीना देवी को छपरा कोर्ट ने 2016 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। महाराजगंज के सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने यहां पांच साल में 2332 योजनाओं की मंजूरी दिलाई है। मशरक से महाराजगंज नई रेल लाइन की सौगात मिली है।यहां का सबसे बड़ा मुद्दा महाराजगंज को जिला बनाने की मांग है। कई बार आंदोलन हुए हैं। अनुमंडल अस्पताल है, लेकिन बेहतर चिकित्सा के लिए लोगों को बाहर जाना पड़ता है। डेमोग्राफी - कुल मतदाता : 1793325 - पुरुष - 947175 - महिला 846150 - थर्ड जेंडर 51 - नए मतदाता : 5477 महाराजगंज की खास बातें महाराजगंज बिहार के 40 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। 1957 में हुए देश के दूसरे लोकसभा निर्वाचन में यह सीट अस्तित्व में आई। यह क्षेत्र सीवान जिले का हिस्सा है। महाराजगंज नगर पंचायत होने के साथ ही ब्लॉक मुख्यालय भी है। ब्रिटिशकाल में यह मुख्य रेलवे लाइन से जुड़ा था। गुड़ गन्ने से बना, गल्ला बाज़ार अनाज मंडी और कपड़े का बाज़ार थे। यहां का मौनिया बाबा मेला लोगों में लोकप्रिय है। यह क्षेत्र प्रदेश की राजधानी पटना से करीब 127 किलोमीटर दूर है, जबकि राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से इस क्षेत्र की दूरी 987 किलोमीटर है।